पृष्ठ तनाव (surface tension) पृष्ठ तनाव (surface tension) : द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ में कम-से-कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है, जिनके कारण उसका पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में रहती है. इसे ही पृष्ठ तनाव कहते हैं. किसी द्रव का पृष्ठ तनाव वह बल है, जो द्रव के पृष्ठ पर खींची काल्पनिक रेखा की इकाई लंबाई पर रेखा के लंबवत कार्य करता है. यदि रेखा कि लंबाई (l) पर F बल कार्य करता है, तो पृष्ठ तनाव, T = F/l . पृष्ठ तनाव का S.I. मात्रक न्यूटन/मीटर होता है. द्रव के पृष्ठ के क्षेत्रफल में एकांक वृद्धि करने के लिए, किया गया कार्य द्रव के पृष्ठ तनाव के बराबर होता है. इनके अनुसार पृष्ठ तनाव का मात्रक जूल/मीटर^२ होगा. द्रव का ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है और क्रांतिक ताप (critical temp) पर यह शून्य हो जाता है. संसंजक बल (cohesive force) : एक ही पदार्थ के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण-बल को संसंजक बल कहते हैं . ठोसों में संसंजक बल का मान अधिक होता है, फलस्वरूप उनके आकार निश्चित होते हैं. गैसों में संसंजक बल का मान नगण्य होता है. आसंजक बल (adhesive force) : दो भिन्न पदार्थों के अ
आधुनिक एवं परमाणु भौतिकी (Modern and nuclear physics) परमाणु के सूक्ष्मतम कण है, जो रासायनिक क्रिया में भाग ले सकते हैं, परंतु स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकते. परमाणु मुख्यतः तीन मूल कणों इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है. रेडियो सक्रियता रेडियो सक्रियता की खोज फ्रेंच वैज्ञानिक हेनरी बेकुरल, एम क्युरी ने तथा पी क्यूरी ने की. खोज के लिए इन तीनों को संयुक्त रुप से नोबेल पुरस्कार मिला. जिन नाभिक में प्रोटॉन की संख्या 83 या उससे अधिक होती है, वे अस्थायी होते हैं. स्थायित्व प्राप्त करने के लिए वह नाभिक स्वत:ही अल्फा, बीटा एवं गामा किरण उत्सर्जित करने लगते हैं. इन्हें रेडियो सक्रिय किरण कहते हैं. रोबोट पियरे एवं उसकी पत्नी मैडम क्यूरी ने नए रेडियो सक्रिय तत्व रेडियम की खोज की. नाभिकीय रिएक्टर नाभिकीय रिएक्टर एक ऐसी युक्ति है, जो नाभिकीय विखंडन से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग विद्युत ऊर्जा के उत्पादन में करता है. रिएक्टर में ईंधन के रूप में यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 का प्रयोग किया जाता है. रिएक्टर में मंदक के रूप में भारी जल या ग्रेफाइट का प्रयोग किया जाता है. रिएक